CASTE CENSUS : भारत की मोदी  सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है की भारत में जातीय जनगणना कराई  जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, “राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने फैसला लिया है कि आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल किया जाए”।

पर क्या आप जानते हैं कि जाति जनगणना आखिर है क्या? यह क्यों जरूरी मानी जा रही है?  आइए, इन सवालों के जवाब सरल भाषा में समझते हैं।

 

CASTE CENSUS
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WHAT IS CASTE CENSUS ? जातीय जनगणना क्या है?

जाति जनगणना का मतलब है देश की आबादी में मौजूद सभी जातियों की गिनती और उनके सामाजिक-आर्थिक हालात का अध्ययन करना। सामान्य जनगणना में उम्र, लिंग, शिक्षा, और धर्म जैसे आंकड़े जुटाए जाते हैं, लेकिन जाति जनगणना में हर व्यक्ति की जाति रिकॉर्ड की जाती है। इससे पता चलता है कि किस जाति के लोग किस स्तर पर शिक्षित हैं, उनकी आय क्या है, और वे किन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

भारत में आखिरी बार 1931 में पूरी तरह से जाति आधारित जनगणना हुई थी। 2011 में “सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC)” हुई, लेकिन उसके नतीजे पूरी तरह सार्वजनिक नहीं किए गए।

CASTE CENSUS : जातीय जनगणना का उद्देश्य-

जाति जनगणना का मुख्य उद्देश्य है:

  • सटीक डेटा जुटाना: सरकार को यह जानने में मदद मिलती है कि देश में कौन-सी जाति की जनसंख्या कितनी है।

  • नीतियों का निर्धारण: सामाजिक और आर्थिक योजनाएं सही आंकड़ों के आधार पर बनाई जा सकती हैं।

  • समानता की दिशा में कदम: इससे पता चलता है कि कौन-सी जातियाँ अब भी सामाजिक या आर्थिक रूप से पिछड़ी हैं और उन्हें क्या सहायता चाहिए।

CASTE CENSUS : जातीय जनगणना का महत्व-

जाति जनगणना का महत्व कई स्तरों पर है:

  • वास्तविक तस्वीर सामने लाना: इससे समाज की वर्तमान संरचना का सही चित्र सामने आता है। उदाहरण के तौर पर, OBC के लिए 27% आरक्षण दिया जाता है, लेकिन उनकी वास्तविक जनसंख्या का कोई पुख्ता सरकारी आंकड़ा नहीं है।

  • संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण: सरकारी योजनाएं, नौकरियां, और शिक्षा में आरक्षण जैसी नीतियां जातिगत आंकड़ों पर निर्भर करती हैं।

  • वंचित वर्ग की पहचान: कई जातियाँ अब भी विकास की मुख्यधारा से दूर हैं। उनके लिए योजनाएं बनाना तभी संभव होगा जब उनकी सटीक संख्या ज्ञात।

 

CASTE CENSUS
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CASTE CENSUS : जातीय जनगणना की जरुरत अब क्यों?

जाति जनगणना की मांग अचानक नहीं उठी है, इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:

  • राजनैतिक दबाव: बिहार, तमिलनाडु जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने लंबे समय से इसकी मांग की है।

  • सामाजिक न्याय की मांग: OBC और अन्य पिछड़े वर्गों का मानना है कि आरक्षण और सुविधाओं का सही लाभ तभी मिलेगा जब उनकी जनसंख्या का सटीक आंकड़ा सामने आए।

  • असमानता का खुलासा: कई रिपोर्टों और सर्वे में यह सामने आया है कि समाज में असमानता अब भी बनी हुई है।

  • राज्य स्तर पर पहल: बिहार ने 2023 में अपनी जाति आधारित गणना कराई, जिसमें OBC और EBC की जनसंख्या 63% से ज़्यादा पाई गई। इससे दूसरे राज्यों में भी मांग बढ़ी।

CASTE CENSUS : पिछली बार कब हुई थी जातीय जनगणना?

भारत में 1931 में अंग्रेजों के जमाने में पूर्ण जाति जनगणना हुई थी। आजादी के बाद, सिर्फ SC/ST समुदायों की गिनती होती रही। 2011 में UPA सरकार ने SECC करवाया, जिसमें जाति और आर्थिक स्थिति दोनों का डेटा जुटाया गया। हालांकि, जाति के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया। कहा जाता है कि इन आंकड़ों में गलतियां थीं, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह डेटा राजनीतिक कारणों से छिपाया गया।

CASTE CENSUS : मोदी सरकार कराएंगे जातीय जनगणना-

PM नरेंद्र मोदी की सरकार ने जातीय जनगणना करने का फैसला किया है। देशभर में शुरू होने वाली जनगणना के साथ ही जातीय जनगणना भी की जाएगी। राहुल गाँधी और अखिलेश यादव लम्बे समय से जातीय जनगणना करने की मांग उठा रहे थे।

अधिक जानकारी के लिए  https://secc.gov.in/  विजिट करे।

CONCLUSION :

भारत की मोदी सरकार देशभर में जातीय जनगणना कराने को तैयार हो गयी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा, “राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने फैसला लिया है कि आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल किया जाए”. इस आर्टिकल में हमने आपको जातीय जनगणना से जुडी सभी जानकारी विस्तार से बताई। हम आशा करते है की आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा होगा। इस पोस्ट को लाइक और शेयर करे। धन्यवाद।

 

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Mukesh DahiyaAdmin
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