BEST UNDERRATED BOLLYWOOD MOVIES : बॉलीवुड इंडस्ट्री में हर साल सैकड़ों फिल्में बनती हैं। इनमें से कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ देती हैं, तो कुछ पब्लिक और मीडिया के बीच खूब चर्चा में रहती हैं। लेकिन कई बार कुछ बेहतरीन फिल्में बिना ज्यादा पब्लिसिटी और हाइप के रिलीज़ होती हैं और दर्शकों का ध्यान नहीं खींच पातीं। इन्हें ही हम कहते हैं – Underrated Bollywood Movies

ये फिल्में शायद बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट नहीं रहीं, लेकिन कंटेंट, एक्टिंग, डायरेक्शन और म्यूजिक के मामले में किसी ब्लॉकबस्टर से कम नहीं थीं। इनमें कुछ ऐसी कहानियां हैं जो दिल को छू जाती हैं, कुछ आपको सोचने पर मजबूर कर देती हैं और कुछ बस सिनेमा की असली खूबसूरती दिखा देती हैं।

इस आर्टिकल में हम बात करेंगे बॉलीवुड की कुछ Best Underrated Bollywood Movies की, जिन्हें आपको ज़रूर देखना चाहिए अगर आप असली सिनेमा का स्वाद लेना चाहते हैं।

1. अ वेडनेसडे (A Wednesday) – कॉमन मैन की ताकत

 

BEST UNDERRATED BOLLYWOOD MOVIE
A WEDNESDAY

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2008

  • निर्देशक: नीरज पांडे

  • मुख्य कलाकार: नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर

“अ वेडनेसडे” 2008 में रिलीज़ हुई एक बेहतरीन थ्रिलर फिल्म है, जिसे नीरज पांडे ने डायरेक्ट किया है। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और अनुपम खेर मुख्य भूमिकाओं में हैं। कहानी मुंबई में एक बुधवार के दिन घटित होती है, जब एक अनजान शख्स पुलिस को फोन करके शहर में बम धमाकों की चेतावनी देता है।

यह शख्स, जिसे नसीरुद्दीन शाह ने बखूबी निभाया है, खुद को कोई आतंकवादी नहीं बताता, बल्कि एक आम नागरिक कहता है, जिसने आतंकवाद और सिस्टम की लापरवाही से तंग आकर खुद न्याय लेने का फैसला किया है। अनुपम खेर पुलिस कमिश्नर के किरदार में हैं, जो इस स्थिति को संभालने की कोशिश करते हैं।

फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी कसी हुई स्क्रिप्ट, तेज़-तर्रार एडिटिंग और बेहतरीन डायलॉग हैं। यह कहानी न केवल आपको सीट से बांधे रखती है, बल्कि यह सोचने पर भी मजबूर करती है कि आम आदमी की चुप्पी कब तक?

“अ वेडनेसडे” बॉक्स ऑफिस पर औसत कमाई करने के बावजूद कंटेंट के दम पर कल्ट स्टेटस हासिल कर चुकी है। अगर आपने अब तक यह फिल्म नहीं देखी, तो यह आपके लिए एक ज़रूरी वॉचलिस्ट की फिल्म है।

2. द लंचबॉक्स (The Lunchbox) – लंचबॉक्स में प्यार

 

BEST UNDERRATED BOLLYWOOD MOVIES
LUNCH BOX

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2013

  • निर्देशक: रितेश बत्रा

  • मुख्य कलाकार: इरफान खान, निमरत कौर

“द लंचबॉक्स” 2013 में रिलीज़ हुई एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसे रितेश बत्रा ने डायरेक्ट किया है। फिल्म में इरफान खान, निमरत कौर और नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। कहानी मुंबई की मशहूर डब्बावाला सर्विस की एक गलती से शुरू होती है, जब एक लंचबॉक्स गलत पते पर पहुंच जाता है।

यह लंचबॉक्स साजन फर्नांडिस (इरफान खान) के पास पहुंचता है, जो एक अकेले और रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके ऑफिस कर्मचारी हैं। यह खाना बनाया था इला (निमरत कौर) ने, जो अपने पति की बेरुखी से परेशान है। धीरे-धीरे दोनों के बीच लंचबॉक्स के जरिए चिट्ठियों का आदान-प्रदान शुरू होता है और यह सिलसिला उनके अकेलेपन को एक खूबसूरत दोस्ती और भावनाओं के रिश्ते में बदल देता है।

फिल्म की सबसे खास बात इसकी सादगी, शानदार अभिनय और छोटे-छोटे पलों को बखूबी दिखाना है। इरफान खान की आंखों से बयां होती भावनाएं और निमरत कौर की मासूमियत इसे और भी खास बना देती है।

“द लंचबॉक्स” को इंटरनेशनल लेवल पर खूब सराहना मिली, लेकिन भारत में यह उतनी बड़ी कमर्शियल हिट नहीं रही। फिर भी, यह फिल्म असली सिनेमा के प्रेमियों के लिए एक अनमोल तोहफा है।

3. तितली (Titli) – जिंदगी की जद्दोजहद

 

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TITLI

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2014

  • निर्देशक: कनु बहल

  • मुख्य कलाकार: शशांक अरोड़ा, रणवीर शौरी

“तितली” 2014 में रिलीज़ हुई एक क्राइम-ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन कनु बहल ने किया है। फिल्म में शशांक अरोड़ा, रणवीर शौरी, ललित बहल और शिवानी रघुवंशी ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं। कहानी दिल्ली के निचले तबके के एक परिवार के छोटे बेटे ‘तितली’ की है, जो अपने हिंसक और आपराधिक माहौल से निकलकर एक सम्मानजनक जिंदगी जीना चाहता है।

तितली के भाई चोरी और लूटपाट में लिप्त हैं, और परिवार की यह आपराधिक विरासत उसे भी इस अंधेरे रास्ते पर धकेलने की कोशिश करती है। लेकिन तितली का सपना है – खुद का एक छोटा-सा कार डीलरशिप बिजनेस शुरू करना और इस गंदी दुनिया से दूर जाना। हालात ऐसे बनते हैं कि उसकी जबरन शादी नेहा (शिवानी रघुवंशी) से कर दी जाती है, जिसके अपने सपने और संघर्ष हैं। धीरे-धीरे दोनों के बीच एक अजीब-सी साझेदारी बनती है, जिसमें धोखा, मजबूरी और आज़ादी की तलाश सब शामिल हैं।

फिल्म की खासियत इसका रियलिस्टिक ट्रीटमेंट, कच्चापन और बेहतरीन अभिनय है। “तितली” को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में खूब सराहा गया, लेकिन भारत में यह सीमित दर्शकों तक ही पहुंच पाई। यह फिल्म बताती है कि सपनों को पूरा करने के लिए इंसान को कितने मुश्किल फैसले लेने पड़ते हैं।

4. मांझी: द माउंटेन मैन (Manjhi: The Mountain Man) – इरादों की मिसाल

 

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MANJHI

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2015

  • निर्देशक: केतन मेहता

  • मुख्य कलाकार: नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राधिका आप्टे

“मांझी: द माउंटेन मैन” 2015 में रिलीज़ हुई एक प्रेरणादायक बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन केतन मेहता ने किया है। इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने दशरथ मांझी का किरदार निभाया है, जबकि राधिका आप्टे उनकी पत्नी फगुनिया के रूप में नजर आई हैं।

कहानी बिहार के गहलौर गांव के दशरथ मांझी की सच्ची घटना पर आधारित है, जिन्होंने अपनी पत्नी की मौत के बाद, सिर्फ एक हथौड़े और छैनी की मदद से 22 साल तक पहाड़ काटकर रास्ता बनाया। यह रास्ता उनके गांव को नजदीकी शहर से जोड़ता था, जिससे लोगों को अस्पताल, स्कूल और जरूरी सुविधाओं तक पहुंच आसान हो सके।

फिल्म मांझी के जज़्बे, दृढ़ निश्चय और मेहनत की कहानी को बड़े परदे पर जीवंत करती है। नवाजुद्दीन का अभिनय और फिल्म का संदेश – “शेर चाहे जितना बूढ़ा हो जाए, रहता शेर ही है” – दर्शकों को हमेशा याद रहेगा।

5. सोनचिरैया (Sonchiriya) – डाकुओं की सच्ची कहानी

 

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SONCHIRIYA

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2019

  • निर्देशक: अभिषेक चौबे

  • मुख्य कलाकार: सुशांत सिंह राजपूत, मनोज बाजपेयी, भूमि पेडनेकर

“सोनचिरैया” 2019 में रिलीज़ हुई एक क्राइम-ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन अभिषेक चौबे ने किया है। इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत, मनोज बाजपेयी, रणवीर शौरी, आशुतोष राणा और भूमि पेडनेकर ने बेहतरीन अभिनय किया है।

कहानी 1970 के दशक के चंबल घाटी की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहां डाकुओं का आतंक और पुलिस के साथ उनकी मुठभेड़ें आम थीं। फिल्म में ‘डकैत’ कहलाने वाले बागियों की जिंदगी, उनके नैतिक द्वंद्व और अपराध के पीछे की मजबूरियों को बड़े ही रियलिस्टिक तरीके से दिखाया गया है। सुशांत सिंह राजपूत का किरदार ‘लखना’ और मनोज बाजपेयी का ‘मान सिंह’ दर्शकों के दिल में गहरी छाप छोड़ते हैं।

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, डायलॉग्स और रॉ ट्रीटमेंट इसे खास बनाते हैं। हालांकि यह बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता नहीं पा सकी, लेकिन कंटेंट के दम पर “सोनचिरैया” आज भी एक कल्ट क्लासिक मानी जाती है, जो असली हिंदी सिनेमा के चाहने वालों के लिए जरूरी है।

6. मसान (Masaan) – दिल छू लेने वाली कहानी

 

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MASSAN

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2015

  • निर्देशक: नीरज घेवन

  • मुख्य कलाकार: विक्की कौशल, ऋचा चड्ढा, श्वेता त्रिपाठी

“मसान” 2015 में रिलीज़ हुई एक इमोशनल ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन नीरज घेवन ने किया है। फिल्म में विक्की कौशल, ऋचा चड्ढा, श्वेता त्रिपाठी और पंकज त्रिपाठी ने शानदार अभिनय किया है।

कहानी वाराणसी की पृष्ठभूमि पर आधारित है और दो अलग-अलग किरदारों की जिंदगी को जोड़ती है। एक तरफ है देवी (ऋचा चड्ढा), जो समाज के कठोर नियमों और स्कैंडल से जूझ रही है, वहीं दूसरी तरफ दीपक (विक्की कौशल) है, जो निचली जाति से होने के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहता है। दीपक और शालू (श्वेता त्रिपाठी) की मासूम प्रेम कहानी और उसका दर्द दिल को छू जाता है।

फिल्म के डायलॉग, जैसे – “ये दुख खत्म क्यूं नहीं होता बे?” – आज भी दर्शकों के दिल में बसते हैं। “मसान” को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में खूब सराहा गया और यह जीवन की कड़वी सच्चाइयों को सादगी से बयां करने वाली एक बेहतरीन फिल्म है।

7. शिप ऑफ थीसियस (Ship of Theseus) – सोच बदलने वाली फिल्म

 

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SHIP OF THESEUS

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2012

  • निर्देशक: आनंद गांधी

“शिप ऑफ थीसियस” 2012 में रिलीज़ हुई एक आर्ट-हाउस फिल्म है, जिसका निर्देशन आनंद गांधी ने किया है। यह फिल्म तीन अलग-अलग कहानियों के जरिए पहचान, नैतिकता और जीवन के मायने तलाशती है। इसमें एक अंधी फोटोग्राफर, एक बीमार साधु और एक स्टॉकब्रोकर की यात्राओं को दिखाया गया है, जो गहरे दार्शनिक सवाल उठाती हैं।

फिल्म का नाम एक दार्शनिक पहेली से लिया गया है, जो पूछती है – अगर किसी चीज़ के सभी हिस्से बदल जाएं, तो क्या वह वही चीज़ रहती है? इसकी सिनेमैटोग्राफी और विचारशील स्क्रिप्ट इसे भारतीय सिनेमा का एक अनमोल रत्न बनाती है।

8. पान सिंह तोमर (Paan Singh Tomar) – एथलीट से डाकू तक

 

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PAN SINGH TOMAR

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2012

  • निर्देशक: तिग्मांशु धूलिया

  • मुख्य कलाकार: इरफान खान

“पान सिंह तोमर” 2012 में रिलीज़ हुई एक बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन तिग्मांशु धूलिया ने किया है। इस फिल्म में इरफान खान ने पान सिंह तोमर का किरदार इतनी सजीवता से निभाया है कि लगता है जैसे असली पान सिंह हमारे सामने हों।

कहानी एक ऐसे नेशनल लेवल एथलीट की है, जिसने आर्मी में रहते हुए 7 बार नेशनल स्टीपलचेज़ चैंपियनशिप जीती। खेल के मैदान में रिकॉर्ड बनाने वाला यह खिलाड़ी, सिस्टम की लापरवाही और अन्याय के कारण अपने परिवार पर हुए अत्याचार का बदला लेने के लिए बंदूक उठा लेता है और चंबल का कुख्यात बागी बन जाता है।

फिल्म न केवल पान सिंह तोमर के संघर्ष और साहस को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे समाज और सिस्टम की खामियां एक हीरो को अपराधी बना सकती हैं। इरफान खान की दमदार एक्टिंग, फिल्म की सच्ची कहानी और रियल लोकेशन पर शूटिंग इसे बेहद असरदार बनाती है।

“पान सिंह तोमर” को क्रिटिक्स और दर्शकों दोनों ने खूब सराहा और इसे नेशनल अवॉर्ड भी मिला। यह फिल्म उन लोगों के लिए जरूर देखने लायक है जो सिनेमा में असल जिंदगी की कहानियों का स्वाद लेना पसंद करते हैं।

9. अंखों देखी (Ankhon Dekhi) – अपनी नजर से दुनिया

 

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ANKHON DEKHI

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2013

  • निर्देशक: रजत कपूर

  • मुख्य कलाकार: संजय मिश्रा

“अंखों देखी” 2013 में रिलीज़ हुई एक अनोखी ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन रजत कपूर ने किया है। फिल्म में संजय मिश्रा, राजत कपूर और सीमा पहवा ने बेहतरीन अभिनय किया है।

कहानी बाऊजी (संजय मिश्रा) नाम के एक आदमी की है, जो एक दिन फैसला करता है कि वह केवल वही मानेगा जो उसने अपनी आंखों से देखा हो। यह सोच उसे समाज के तयशुदा नियमों, परंपराओं और मान्यताओं से टकरा देती है। बाऊजी के इस प्रयोग से उसके परिवार और पड़ोसियों की जिंदगी में कई हास्यास्पद और भावुक मोड़ आते हैं।

फिल्म की खूबी इसकी सादगी, गहराई और संजय मिश्रा का शानदार अभिनय है, जो किरदार में पूरी तरह ढल गए हैं। “अंखों देखी” आपको हंसाती भी है, सोचने पर मजबूर भी करती है और जिंदगी को एक नए नजरिए से देखने का मौका देती है। यह कंटेंट-ड्रिवन सिनेमा का एक बेहतरीन उदाहरण है।

10. चितगाँग (Chittagong) – भूली-बिसरी आज़ादी की कहानी

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CHITTAGONG

 

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2012

  • निर्देशक: बेदब्रत पेन

“चितगाँग” 2012 में रिलीज़ हुई एक ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन बेदब्रत पेन ने किया है। यह फिल्म 1930 के दशक में ब्रिटिश शासन के दौरान हुए चितगाँग आर्मरी रेड पर आधारित है। कहानी स्कूल टीचर सूर्य सेन और उनके साथियों की है, जिन्होंने सीमित संसाधनों में अंग्रेजों के खिलाफ साहसिक विद्रोह किया।

फिल्म में मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और वेगा तमोटिया जैसे कलाकारों ने दमदार अभिनय किया है। इसकी खासियत है – सच्ची घटनाओं का संवेदनशील चित्रण और प्रेरणादायक संदेश। “चितगाँग” भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक कम चर्चित लेकिन बेहद महत्वपूर्ण अध्याय को सामने लाती है।

11. बर्फी! (Barfi!) – मासूमियत और प्यार

 

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BARFI

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2012

  • निर्देशक: अनुराग बसु

  • मुख्य कलाकार: रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड़ा, इलियाना डिक्रूज़

“बर्फी!” 2012 में रिलीज़ हुई एक रोमांटिक कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन अनुराग बसु ने किया है। फिल्म में रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड़ा और इलियाना डिक्रूज़ मुख्य भूमिकाओं में हैं।

कहानी मर्फी उर्फ बर्फी (रणबीर कपूर) की है, जो सुन और बोल नहीं सकता, लेकिन अपनी मासूमियत और शरारत से सबका दिल जीत लेता है। उसकी जिंदगी में झिलमिल (प्रियंका चोपड़ा), जो ऑटिज़्म से पीड़ित है, एक खास जगह बना लेती है।

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, दिल छू लेने वाला म्यूजिक और बेहतरीन अभिनय इसे यादगार बनाते हैं। “बर्फी!” प्यार की एक खूबसूरत और सादगी भरी दास्तान है।

12. ब्लैक फ्राइडे (Black Friday) – सच का सामना

 

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BLACK FRIDAY

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2004

  • निर्देशक: अनुराग कश्यप

“ब्लैक फ्राइडे” 2004 में बनी और 2007 में रिलीज़ हुई एक क्राइम-ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया है। यह फिल्म हुसैन ज़ैदी की किताब Black Friday: The True Story of the Bombay Bomb Blasts पर आधारित है। कहानी 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों और उसके बाद हुई पुलिस जांच को बेहद रियलिस्टिक अंदाज में पेश करती है।

फिल्म में के. के. मेनन, पवन मल्होत्रा, आदित्य श्रीवास्तव और कुप्रा सैथ जैसे कलाकारों ने दमदार अभिनय किया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है – बिना किसी फिल्मी तामझाम के, कच्चेपन और सच्चाई के साथ घटनाओं को दिखाना।

“ब्लैक फ्राइडे” न सिर्फ अपराध और राजनीति के काले खेल को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि इन घटनाओं का असर आम लोगों की जिंदगी पर कितना गहरा होता है। यह भारतीय सिनेमा की सबसे साहसी और ईमानदार फिल्मों में से एक मानी जाती है।

13. अलीगढ़ (Aligarh) – सच्चाई की लड़ाई

 

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ALIGARH

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2016

  • निर्देशक: हंसल मेहता

  • मुख्य कलाकार: मनोज बाजपेयी, राजकुमार राव

“अलीगढ़” 2016 में रिलीज़ हुई एक सेंसिटिव बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन हंसल मेहता ने किया है। यह फिल्म अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. रामचंद्र सिरस की सच्ची कहानी पर आधारित है।

मनोज बाजपेयी ने प्रोफेसर सिरस का किरदार निभाया है, जबकि राजकुमार राव एक पत्रकार के रूप में नजर आते हैं। प्रोफेसर सिरस अपनी निजी जिंदगी में खुश थे, लेकिन उनकी निजी पसंद और यौनिकता के कारण उन्हें समाज और संस्थान से भेदभाव का सामना करना पड़ा। जब उनकी सहमति के बिना उनका निजी पल रिकॉर्ड कर सार्वजनिक किया गया, तो यह एक बड़े विवाद में बदल गया।

फिल्म संवेदनशीलता से निजता, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर सवाल उठाती है। मनोज बाजपेयी का शानदार और भावुक अभिनय इस किरदार को अमर कर देता है। “अलीगढ़” केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि अस्मिता और इंसाफ के लिए लड़ी गई सच्ची लड़ाई का मार्मिक चित्रण है।

14. करवन (Karwaan) – जिंदगी का सफर

 

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KARWAAN

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2018

  • निर्देशक: आकाश खुराना

  • मुख्य कलाकार: इरफान खान, दुलकर सलमान, मिथिला पालकर

“कारवां” 2018 में रिलीज़ हुई एक हल्की-फुल्की रोड ट्रिप ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन आकाश खुराना ने किया है। इसमें दुलकर सलमान, इरफान खान और मिथिला पालकर मुख्य भूमिकाओं में हैं। कहानी अविनाश (दुलकर सलमान) की है, जो अपने पिता के निधन के बाद एक अनोखे सफर पर निकलता है। इस सफर में उसके साथ शौकत (इरफान खान) और तान्या (मिथिला पालकर) होती हैं।

फिल्म दोस्ती, रिश्तों, खोने और पाने के एहसास को मजेदार और भावुक अंदाज में बयां करती है। इरफान खान के बेहतरीन ह्यूमर और हल्की-सी फिलॉसफी “कारवां” को एक यादगार अनुभव बना देती है।

15. तुंबाड (Tumbbad) – इंडियन फैंटेसी का कमाल

 

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TUMBBAD

 

  • रिलीज़ वर्ष: 2018

  • निर्देशक: राही अनिल बर्वे

“तुम्बाड” 2018 में रिलीज़ हुई एक डार्क फैंटेसी हॉरर फिल्म है, जिसका निर्देशन राही अनिल बर्वे ने किया है। कहानी 1918 से 1947 के दौर में महाराष्ट्र के एक गांव ‘तुम्बाड’ की है, जहां एक छिपा हुआ खजाना और देवता हस्तर का रहस्य छुपा है।

मुख्य किरदार विनायक राव (सोहम शाह) लालच में आकर खतरनाक सफर पर निकलता है। फिल्म लालच, पाप और इंसानी कमजोरी को प्रतीकात्मक अंदाज में पेश करती है। शानदार सिनेमेटोग्राफी, अनोखा बैकग्राउंड स्कोर और गहरी कहानी इसे भारतीय सिनेमा की सबसे अलग और यादगार फिल्मों में शामिल करती है।

निष्कर्ष (Conclusion)-

बॉलीवुड में सिर्फ बड़े बजट और बड़े स्टार्स की फिल्में ही अच्छी नहीं होतीं। कई बार छोटी, सच्ची और दमदार कहानियां भी ऐसा असर छोड़ जाती हैं जो सालों तक याद रहता है। ऊपर बताई गई ये Best Underrated Bollywood Movies सिर्फ एंटरटेनमेंट ही नहीं, बल्कि सोच बदलने का भी काम करती हैं।
अगर आप सिनेमा के असली शौकीन हैं, तो इन फिल्मों को जरूर देखें – शायद आपको अपनी अगली फेवरेट मूवी इन्हीं में मिल जाए। हम आशा करते है की आपको ये लेख अच्छा लगा होगा। इस पोस्ट को लाइक और शेयर करे। धन्यवाद।

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Mukesh DahiyaAdmin
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